न तो ऊंची आसमान में उड़ सकती
पर तितली बनने की उम्मीद क्यों तू रखती है
आखिर है क्या उस तितली की पंख में जो तुझे सबसे प्यारा हो गया।
तुलना तो तू खुद की थी उस तितली से
न थी उसका कोई तुझसे कभी राबता
पर तितली बनने की सपने क्योंं तू देखती है
आखिर है क्या उस तितली की सपनों में जो तेरी नींद को चुरा लिया ।
~मितांजलि
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