खुद को खुद में खोके 
 खुद को खुद में पाना
 उतना आसान नहीं है; जनाब!

लग जाते है कई दिनों के साथ कई पुराने राते 
और कई महीनों के साथ कई नए साल 
रात बीत जाते है साल गुजर जाते है ।
 
खुद को खुद में जिंदगी खुद ढूंढ नहीं पाती 
गुजरते हुए सालों में 
जिंदगी खुद अधूरी रह ही जाती है।

खुद को खुद में खोके 
 खुद को खुद में पाना
 उतना आसान नहीं है; जनाब!

खुद को खुद में खोने में 
अकसर जिन्दगी खुद कम पड़ जाती है 
और ये जिंदगी अधूरी कहलाती है।

~ मितांजलि पधान